श्रीमद् भगवद् गीता हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है और इसे महाभारत के महायुद्ध के समय कही गई भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का रूप माना जाता है। यह ग्रंथ भगवान श्रीकृष्ण के ज्ञान, उपदेश, दान, कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग, और सांख्ययोग के विषय में विस्तृत चर्चा करता है। इसका अनुवाद और व्याख्या विभिन्न आचार्यों द्वारा किया गया है और इसे सम्पूर्ण भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।
भगवद् गीता में अर्जुन अपने कर्तव्य के मोह में उलझा हुआ है और युद्ध में भाग लेने के लिए विरोध करता है। भगवान श्रीकृष्ण उसे सहायता करते हैं और उसे जीवन के विभिन्न मार्गों, कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग के माध्यम से सच्ची प्रकृति और आत्मा के तत्त्व का ज्ञान प्रदान करते हैं। भगवद् गीता में मनुष्य के जीवन, समाज, कर्म, धर्म, भक्ति, आत्मा, और परमात्मा के बारे में गहराई से चर्चा की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य मनुष्य को सही जीवन दर्शन, आत्मविश्वास, और सच्चे स्वयं-निर्मित समाज की प्रेरणा देना है।
भगवद् गीता की महत्वपूर्ण बातें शान्ति, समयोचित कर्म, समरसता, स्वाध्याय, संयम, भक्ति, आत्मविश्वास, और वैराग्य जैसे मार्गों को प्रमाणित करने के लिए हैं। यह ग्रंथ मनुष्य को अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार बनाने की सही प्रेरणा देता है और उसे अपने जीवन में स्वयं को विकसित करने के लिए प्रेरित करता है। इसका अध्ययन और समझना हिन्दू धर्म के अनुयायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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