केदारनाथ मंदिर गढ़वाल हिमालय
Kedarnath Temple
केदारनाथ मंदिर गढ़वाल, भारत में हिमालय पर्वत श्रृंग में स्थित एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल जिले में स्थित है और केदारनाथ नामक भगवान शिव को समर्पित है।
केदारनाथ मंदिर गहरे हिमालयी वन में स्थित है और उसे पहुंचने के लिए यात्रियों को लगभग 14 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है। यह यात्रा आदिवासी समुदायों द्वारा निर्वहित की जाती है और इसे श्रद्धालुओं के द्वारा पैदल, पालकी या मूल्यांकित हेलीकॉप्टर सेवा के माध्यम से पूरा किया जा सकता है।
केदारनाथ मंदिर, हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है, जिन्हें चार यात्राओं का आदर्श माना जाता है। इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ा जाता है और मान्यता है कि यहां पर्वतराज हिमालय ने पंडवों को शिव प्रतिष्ठान के लिए आशीर्वाद दिया था।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण ग्रंथ भगवान शिव के अवतार पर आधारित माना जाता है, जो श्री आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर की मुख्य गोपुरमेंट भगवान शिव को समर्पित है और यहां पर एक शिवलिंग स्थापित है, जिसे केदारनाथ के नाम से जाना जाता है।
केदारनाथ मंदिर वाराणसी के श्री केदार ग्रंथ में वर्णित किए जाने के कारण महत्वपूर्ण है। यहां पर छठे ज्योतिर्लिंग के रूप में भी जाना जाता है और यहां श्रद्धालुओं को उच्च पर्वतीय स्थान पर एक अद्वितीय और पवित्र अनुभव प्रदान करता है।
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उत्तराखंड राज्य में पांच केदार धाम हैं, जिन्हें चार धाम के रूप में भी जाना जाता है। ये पांच धाम भगवान शिव के पवित्र स्थान हैं और हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक माने जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर: केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में स्थित है और यह चार धाम का सबसे प्रमुख स्थान है। यहां भगवान शिव को समर्पित एक शिवलिंग स्थापित है।
बद्रीनाथ मंदिर: बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह मंदिर श्री बद्रीनाथ जी को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के एक अवतार के रूप में मान्यता है।
यमुनोत्री मंदिर: यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह मंदिर यमुना नदी को समर्पित है, जो मान्यता है कि यह माता यमुना की स्थानीय निवास स्थली है।
गंगोत्री मंदिर: गंगोत्री मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह मंदिर गंगा नदी को समर्पित है, जो मान्यता है कि यह माता गंगा की स्थानीय निवास स्थली है।
कैलाश मंदिर: कैलाश मंदिर उत्तराखंड के उधामसिंह नगर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने पार्वती के साथ विवाह किया था।
ये पांच केदार धाम हिन्दू धर्म की प्रमुख धार्मिक यात्राओं में से एक माने जाते हैं और हर साल लाखों श्रद्धालु इन धामों की यात्रा पूरी करते हैं।
केदारनाथ - इतिहास और साक्ष्यों की नजर से
केदारनाथ मंदिर का इतिहास वास्तविक रूप से प्राचीन है और यह पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक प्रमाणों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा माना जाता है और मान्यता है कि यहां पर्वतराज हिमालय ने पांडवों को शिव की प्रतिष्ठा के लिए आशीर्वाद दिया था। केदारनाथ मंदिर की मुख्य गणना में श्री शंकराचार्य द्वारा निर्माण काल को मान्यता दी जाती है। उन्होंने 8वीं शताब्दी के आस-पास में मंदिर का निर्माण किया था। शंकराचार्य की इस प्रयास से पहले, केदारनाथ मंदिर का पुराना स्थान भी हो सकता है, लेकिन वह बाद में तबाह हो गया था और बाद में शंकराचार्य ने उसे फिर से निर्माण किया। केदारनाथ मंदिर के साक्ष्यों में उसके ऐतिहासिक महत्व को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रमुख तथ्य शामिल हैं। मंदिर के पास स्थित पांडव वास, भीमशिला, वासुकी तल, गणेश गुफा आदि ऐतिहासिक स्थल मान्यता से जुड़े हैं। इसके अलावा, केदारनाथ मंदिर के प्रतिष्ठित पुराण और अधिकृत धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख किया गया है। ग्रंथ भगवान शिव के अवतार, मंदिर का निर्माण, उसकी महत्ता, पौराणिक कथाओं और स्थानीय लोगों की आदिवासी परंपरा के बारे में विस्तृत वर्णन प्रदान करते हैं। इस प्रकार, केदारनाथ मंदिर का इतिहास और साक्ष्यों के आधार पर हमें ज्ञात होता है कि यह एक प्राचीन और पवित्र स्थान है, जो ब्रह्माण्डिक महत्त्व रखता है और हिन्दू धर्म की महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है।
केदारनाथ मंदिर के कपाट (द्वार) का खुलने और बंद
केदारनाथ मंदिर के कपाट (द्वार) का खुलने और बंद होने का समय वर्षभर में नियमित रूप से निर्धारित होता है। यह समय प्रति वर्ष बदलता रहता है, जो स्थानीय परंपरा और आराधना व्यवस्था के अनुसार होता है। आमतौर पर, केदारनाथ मंदिर के कपाट चार महीनों के लिए खुलते हैं और फिर बंद होते हैं।
केदारनाथ मंदिर के कपाट का खुलने और बंद होने का समय केरली पंचंग (केवलज्ञान) के अनुसार तय किया जाता है। यह साधारणतः बैसाख मास (अप्रैल-मई) के मध्य को खुलते हैं और कार्तिक मास (अक्टूबर-नवंबर) के आस-पास बंद होते हैं। इसके अलावा, अन्य केवलज्ञान और स्थानीय आदर्शों के अनुसार इस समय में छोटी बदलाव हो सकती हैं, इसलिए यदि आप केदारनाथ मंदिर का यात्रा करना चाहते हैं, तो स्थानीय परंपरा या मंदिर प्रशासन से यह सुनिश्चित करें कि वर्तमान समय में कपाट का खुलने और बंद होने का समय क्या है।