6 मुखी रुद्राक्ष एक प्रकार की माणिक्य गाथा है, जो धारण किए जाने पर शुभता और सौभाग्य को लाने की मान्यता होती है। इसका नाम ‘षट्कोण’ या ‘षटमुखी रुद्राक्ष’ भी है। यह रुद्राक्ष का एक प्रमुख प्रकार है और प्राकृतिक रूप से प्राप्त होती है। यह हिमालयी वृक्ष, इलायची की जाति से संबंधित है और यह भारतीय ज्योतिष और धार्मिक प्रथाओं में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
ट्कोण रुद्राक्ष को ब्रह्मा, विष्णु, महेश, कार्तिकेय, इंद्र और यमराज का प्रतीक माना जाता है। इसे बांहों में धारण करने से मन, शरीर और आत्मा के संतुलन को बढ़ाया जा सकता है और धारण करने वाले को आत्मविश्वास, शक्ति और सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। इसकी मान्यता है कि यह सुख, समृद्धि, संतान और रोगनिरोधक गुणों को लाता है।
- दुर्गा: इस मुख को दुर्गा देवी का प्रतिष्ठान माना जाता है और यह सामरिक साहस और सुरक्षा का प्रतीक है।
- भैरव: छह मुखों में एक मुख को भैरव का प्रतिष्ठान माना जाता है, जो रुद्र भगवान के भयानक स्वरूप को दर्शाता है।
- कार्तिकेय: इस मुख को कार्तिकेय देवता का प्रतीक माना जाता है, जो शक्ति और सौर्य का प्रतीक है।
- गणेश: एक मुख को गणेश देवता का प्रतीक माना जाता है, जो समृद्धि, शुभकार्यों का निर्वाह करने और बाधाओं से सुरक्षा करने के लिए जाना जाता है।
- सूर्य: इस मुख को सूर्य देवता का प्रतीक माना जाता है, जो शक्ति, ऊर्जा और ज्ञान का प्रतीक है।
- विष्णु: छहवां मुख विष्णु देवता को प्रतिष्ठित करता है, जो पालनहार, संरक्षक और संहारक के रूप में जाना जाता है।
यह छह मुखी रुद्राक्ष शांति, सुख, उच्चता और मानसिक समृद्धि के लिए प्रयोग होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है और ध्यान करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
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