काशी विश्वनाथ मंदिर
Kashi Vishwanath Temple
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र मंदिर है जो हिन्दू धर्म के अनुसार महत्वपूर्ण है। इस मंदिर की पौराणिक कथा विष्णु पुराण, शिव पुराण और काशी खण्ड में वर्णित है। यहां उसकी प्रमुख कथा का वर्णन है:
काशी विश्वनाथ मंदिर की कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब प्रकृति में विष्णु और शिव के बीच ताकतवर महायुद्ध हुआ। यह युद्ध इतना भयानक था कि यह पृथ्वी को नष्ट करने की कायर बात थी। देवताओं और ऋषियों ने यह देखकर बहुत चिंतित हुए और उन्होंने ब्रह्मा से सलाह ली। ब्रह्मा ने उन्हें काशी नगर में एक समाधि स्थान खोजने की सलाह दी, जहां वे शांति और सुरक्षा के साथ रह सकते थे।
काशी विश्वनाथ में क्या प्रसिद्ध है?
कथा के अनुसार, एक समय परशुराम ऋषि ने कार्तिकेय को माता पार्वती के सामर्थ्य पर चुनौती दी। पार्वती ने आग्रह किया कि वह उन्हें अपने शिव जी के सामर्थ्य को भी चुनौती दें। परशुराम ने इसे स्वीकार किया और एक बार उन्होंने अपने धनुष से सारे शिवलिंगों को तोड़ दिया।
पार्वती और कार्तिकेय को देखकर विशेष रूप से दुःखित होकर भगवान शिव ने एक गिरिजा (पर्वती) स्वरूपी ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति बताई। यह ज्योतिर्लिंग उन्होंने तत्काल प्राप्त किया और इसे घृष्णेश्वर नामकरण किया।
इस कथा के अनुसार, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव के सामर्थ्य और शक्ति को प्रतिष्ठित करता है। यह ज्योतिर्लिंग पापों से मुक्ति, सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं।
विश्वनाथ मंदिर का निर्माण
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण बहुत प्राचीन समय में हुआ है और इसके बारे में विभिन्न कथाएं प्रचलित हैं। मान्यता के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण पहली बार देवताओं द्वारा हुआ था। यह कथा पुराणों में वर्णित है: काशीपुर में एक समय भगवान शिव और देवी पार्वती ने वनवास में बिता रहे थे। एक दिन शिवजी की नींद का भ्रम उन्हें पार्वती ने खेलते हुए उड़ा दिया। प्रभुजी जब जागे तो उन्हें अपनी नींद का गुमान हुआ। उन्होंने सोचा कि पार्वती ने उनका मजाक उड़ाया है। इसलिए उन्होंने पार्वती से कहा कि जब तक वह एक नगर नहीं बनाते हैं, तब तक वह खुद के मंदिर में नहीं जाएंगे। पार्वती ने इस पर उत्तर दिया कि वह नगर बहुत जल्दी बना देगी। उन्होंने अपने सेवक नंदी को नगर का निर्माण करने का काम सौंपा। नंदी ने उसी स्थान पर नगर की नींव रखी और उसे काशीपुर के रूप में जाना जाता है। इसके बाद से काशीपुर नगर घोषित हुआ और उसे काशी या वाराणसी के रूप में जाना जाने लगा। वहां पर शिवजी ने अपने मंदिर का निर्माण किया, जो अब काशी विश्वनाथ मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस रूप में, काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण भगवान शिव के स्वयं के द्वारा हुआ था और यह भारतीय धर्म में महत्वपूर्ण और प्रमुख मंदिरों में से एक है।
विश्वनाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य
काशी विश्वनाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो काशीपुर नगर में स्थित है। यहां कुछ रोचक तथ्य काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में हैं:
1. प्राचीनता: काशी विश्वनाथ मंदिर की प्राचीनता काफी लंबे समय तक जाती है। इस मंदिर का निर्माण पहली बार प्राचीन काल में हुआ था, और बाद में यहां कई बार निर्माण और सुधार कार्य हुए हैं।
2. ज्योतिर्लिंग: काशी विश्वनाथ मंदिर एक ज्योतिर्लिंग के रूप में मान्यता प्राप्त करता है। यह अर्थात् यह मंदिर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है।
3. संरचना: काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना काफी भव्य और सुंदर है। मंदिर की दीवारें सफेद मार्बल से बनी हुई हैं और इसकी गोपुरमेंट और शिखर धातु से बने हुए हैं। मंदिर के अंदर कई मंडप और प्रांगण हैं जहां शिव की पूजा की जाती है।
4. समय की पहरेदारी: काशी विश्वनाथ मंदिर में दिनभर निरंतर पूजा और अर्चना की जाती है। इसका विशेषता है कि मंदिर का द्वार सदैव खुला रहता है और शिवलिंग की पूजा को रात्रि में भी जारी रखा जाता है।
5. साहित्यिक महत्व: काशी विश्वनाथ मंदिर के आस-पास कई साहित्यिक और सांस्कृतिक स्थल हैं। यहां पर विश्वनाथ मंदिर की प्रासादिका के रूप में कई पुस्तकालय और पुरातत्व संग्रहालय हैं, जो धार्मिक और सांस्कृतिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर के रोचक और महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विशेष चर्चा की जाती है और इसे भगवान शिव के भक्तों द्वारा भरी जाती है।